Gupt navratre
गुप्त नवरात्रि पहला दिन मंत्र एवं पूजा
मां काली गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा के दौरान उत्तर दिशा की ओर मुंह करके काली हकीक माला से पूजा करनी है। इस दिन काली माता के साथ आप भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी किस्मत चमक जाएगी, शनि के प्रकोप से भी छुटकारा मिल जाएगा, नवरात्रि में पहले दिन दिन मां काली को अर्पित होते हैं वहीं बीच के तीन दिन मां लक्ष्मी को अर्पित होते हैं और अंत के तीन दिन मां सरस्वति को अर्पित होते हैं मां काली की पूजा में मंत्रों का उच्चारण करना है।
गुप्त नवरात्रि का मंत्र - क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा। ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्रि दूसरा दिन मंत्र एवं पूजा
गुप्त नवरात्री के दूसरे दिन महाविद्या मां तारा की पूजा की जाती है। इस पूजा को बुद्धि और संतान के लिये किया जाता है। इस दिन Amethyst (अमेथिस्ट) व नीले रंग की माला का जप करते हैं।
गुप्त नवरात्रि मां तारा का मंत्र - ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।
गुप्त नवरात्रि तीसरा दिन मंत्र एवं पूजा
नवरात्री के तीसरे दिन महाविद्या मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी पूजा की पूजा की जाते है। सुन्दर एवं निखरे हुए रूप के लिये इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा की जाती है। इस दिन बुध ग्रह के लिये पूजा की जाती है। इस दिन रूद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि मां त्रिपुरसुंदरी का मंत्र - ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।
गुप्त नवरात्रि चौथा दिन मंत्र एवं पूजा
गुप्त नवरात्री के चौथे दिन महाविद्या मां भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है। इस दिन मोक्ष और दान के लिए पूजा की जाती है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ होगा। चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी के लिये गुप्त नवरात्री के चौथे दिन दिन पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि भुवनेश्वरी का मंत्र- ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:। ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:।
गुप्त नवरात्रि पांचवे दिन मंत्र एवं पूजा ( गुप्त नवरात्रि में वशीकरण )
नवरात्रि के पांचवे दिन माँ छिन्नमस्ता की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं और रोगों का नाश होता है। इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए। अगर किसी का वशीकरण करना है तो उस दौरान इस पूजा को करना होता है। राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है। इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाएं। गुप्त नवरात्रि माँ छिन्नमस्ता का मंत्र - श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।
गुप्त नवरात्रि छठी महाविधा मां त्रिपुर भैरवी पूजा ( गुप्त नवरात्रि में शादी के उपाय )
गुप्त नवरात्री के छट्टे दिन नजर दोष व भूत प्रेत संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए पूजा करनी होती है। मूंगे की माला से पूजा करें। मां के साथ बालभद्र की पूजा करना और भी शुभ होगा। इस दिन जन्मकुंडली में लगन में अगर कोई दोष है तो वो सभ दूर होता है।गुप्त नवरात्रि त्रिपुर भैरवी का मंत्र - ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्रि सांतवी महाविद्या मां धूमावती पूजा
गुप्त नवरात्री के सातवे दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता है। इस दिन हकीक की माला की पूजा करें। गुप्त नवरात्रि मां धूमावती पूजा मंत्र - धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।
आंठवी महाविद्या मां बगलामुखी ( गुप्त नवरात्रि में नौकरी के उपाय )
माँ बगलामुखी की पूजा करने से कोर्ट-कचहरी और नौकरी संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन पीले कपड़े पहन कर हल्दी माला का जप करना है। अगर आप की कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी है तो माँ बगलामुखी की कृपा से जल्द ठीक हो जाएगा।गुप्त नवरात्रि मां बगलामुखी पूजा मंत्र - ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।
नौवीं महाविद्या मां मातंगी
मां मातंगी की पूजा धरती की ओर और मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुंह करके करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानी का नाश होता है, बुद्धि संबंधी के लिये भी मां मातंगी पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्री माँ मातंगी मंत्र - क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।
दसवी महाविद्या मां कमला
माँ कमला की पूजा आकाश की और मुख करके करनी चाहिए। दरअसल गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा करनी होती है। माँ कमला मंत्र- क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा
नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से किए जाने का विधान है किन्तु यदि यह संभव ना हो तो देवी के 'नवार्ण मंत्र', 'सिद्ध कुंजिका स्तोत्र' अथवा 'दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र' से हवन संपन्न करना श्रेयस्कर रहता है।
लग्न अनुसार घटस्थापना का फल
देवी पूजा में शुद्ध मुहूर्त एवं सही व शास्त्रोक्त पूजन विधि का बहुत महत्व है। शास्त्रों में विभिन्न लग्नानुसार घट स्थापना का फल बताया गया है।
लग्न फल
मेष लग्न धन लाभ
वृष लग्न कष्ट
मिथुन लग्न संतान को कष्ट
कर्क लग्न सिद्धि
सिंह लग्न बुद्धि नाश
कन्या लग्न लक्ष्मी प्राप्ति
तुला लग्न ऐश्वर्य प्राप्ति
वृश्चिक लग्न धन-समृद्धि की प्राप्ति
धनु लग्न मान भंग
मकर लग्न पुण्यप्रद
कुंभ लग्न पुण्यप्रद
मीन लग्न हानि एवं दुःख की प्राप्ति होती है।
गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए ?
मेष राशि
मेष राशि के लोगों को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लोग देवी के महागौरी स्वरुप की पूजा करें व ललिता सहस्त्रनाम का पाठ करें।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोग देवी यंत्र स्थापित कर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। इससे इन्हें लाभ होगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के लोगों को मां शैलपुत्री की उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ भी करें।
सिंह राशि
सिंह राशि के लोगों के लिए मां कूष्मांडा की पूजा विशेष फल देने वाली है। दुर्गा मन्त्रों का जाप करें।
कन्या राशि
कन्या राशि के लोग मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। लक्ष्मी मंत्रो का विधि-विधान पूर्वक जाप करें।
तुला राशि
तुला राशि के लोगों को महागौरी की पूजा से लाभ होता है। काली चालीसा का पाठ करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि स्कंदमाता की पूजा से इस राशि वालों को शुभ फल मिलते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
धनु राशि
धनु राशि के लोग मां चंद्रघंटा की आराधना करें। साथ ही उनके मन्त्रों का विधि-विधान से जाप करें।
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए मां काली की पूजा शुभ मानी गई है। नर्वाण मन्त्रों का जाप करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के लोग मां कालरात्रि की पूजा करें। नवरात्रि के दौरान रोज़ देवी कवच का पाठ करें।
मीन राशि
मीन राशि वाले मां चंद्रघंटा की पूजा करें। हल्दी की माला से बगलामुखी मंत्रो का जाप भी करे।
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