बृज के रसिया 🙏🙏

 🥰🥰🥰🙏🙏//रसिया//🙏🙏🥰🥰

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सखी:-कैसो मांगे दान दही को,रोकै मारग गिरधारी
कान्हा:-नित प्रति निकसि गई चोरी तें, गोरी बरसाने वारी
सखी:- रोकै मत गैल,नयो दानी भयो छैल
          सुन नन्द के ठगैल,तेरें लाज न रही
          रही कुल की जो रीत, और आपस की प्रीत
          ऐसी करै अनरीति, नीति तोर क्यों दई
          दई उलटी चाल चलाय,जाय नैक पूछौं महतारी
          कैसो मांगें दान दही को..........
कान्हा:-पूछूं कहा माय,दान लैहुंगौ चुकाय
           नाहिं सूधि बतराय,इठलाय क्यों घनी
           घनी देखी नई नारि,बनै बड़े की कुमारि
            मोतें कहै ठगवार,लगै आप ठगनी
           ठग नैना तेरे चपल गुजरिया,हिरदै की कारी
           नित प्रति निकसि गई चोरी तें,........
सखी:- तू जायो कारी रात,याते कारो भयो गात
           दधि चोर चोर खात, बात ऐंठ की करो
           करौ कंस को न डर,रोकि राखि है डगर
           दऊं गुलचा द्वै धरि,घर रोवतो फिरौ
           फिरौ घर घर मांगत छाछ,छैल तुम कबके बलधारी
           कैसो मांगे दान दही को...........
कान्हा:-बल देखै मेरो,कंस मारूंगो सवेरो
           नाहिं फूफा लगै तेरौ, रट वाहि की लई
          लई खूब समुझाय,रही बात न बनाय
          तोहि देऊंगौ नचाय,जैसे दही में रई
          रईयत बाबा की बसैं तेरीसीं,सौ सौ गोबर हारी
          नित प्रति निकसि गई.....….
सखी:-रईयत हमारी लाल,अब बनैं भूमि पाल
          जोरि दस पांच ग्वाल,बाल बांकुरे भये
          भये मथुरा में आप,बंदी काटे माई बाप
          भानुपुर के प्रताप,गाय चराई इंह्या रहे
          रहे उलटी आंख दिखाय,कमरिया ओढ़ लई कारी
          कैसो मांगें दान दही को...….....
कान्हा:-कामर हमारी,तीन लोक तें हूं न्यारी
           तूं तौ जानैं न गंवारी,पांवैं देव हूं न पार
          पार पायो नाहिं शेष, इन्द्र अज हू महेश
          मेरौ ग्वारिया को भेष,देश प्रेम को प्रचार
          चट दऊंगौ कंस फछार,"श्याम"कामर में गुन भारी
          नित प्रति निकसि गई चोरी तें गोरी बरसाने वारी
          कैसो मांगे दान दही को रोके मारग गिरधारी

 *श्री गिरिराज जी चरण सेवक_🙏🙏पं दिनेश कुमार शर्मा*और रेनू शर्मा 🌹🥰🥰🥰

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